
Internship का नाम आपने जरूर सुना होगा और हो सकता है कि आपमें से बहुत से लोगों ने अपने करियर
की शुरुआत में Internship का एक्सपीरियंस भी लिया हो लेकिन अगर आप Internship के बारे में नहीं जानते हैं
तो आपको ये कॉन्सेप्ट जरूर समझना चाहिए और इसलिए आज क्विक सपोर्ट के इस पोस्ट में हम आपको इंटर्नशिप से जुड़ी सभी ख़ास इंफॉर्मेशंस देने वाले हैं इसलिए इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़े ताकि इंटर्नशिप को आप आसानी से समझ सकें –
इंटर्नशिप पहले भी स्टूडेंट्स के बीच एक पॉपुलर टर्म थी लेकिन अब ये इतनी इम्पोर्टेन्ट हो गयी है
लगभग हर कॉलेज और एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए उनके कोर्स का एक इम्पोर्टेन्ट पार्ट बन गयी है। इंटर्नशिप एक ऐसा प्रोग्राम है जिसके जरिये स्टूडेंट्स अपने करियर की शुरुआत में किसी कंपनी में 1 महीने,3 महीने,6 महीने या 1 साल तक काम करके वर्क एक्सपीरिएंस गेन करते हैं
और ये एक्सपीरियंस उन्हें अच्छी जॉब दिलाने में बहुत हेल्पफुल भी रहता है।
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हर इंटर्नशिप डिफरेंट होती है। कुछ पार्ट टाइम इंटर्नशिप होती है और कुछ फुल टाइम इंटर्नशिप।
एक इंटर्नशिप कुछ वीक से एक साल तक चल सकती है। इंटर्नशिप स्टूडेंट्स,अंडरग्रेजुएट और ग्रेजुएट स्टूडेंट्स कर सकते हैं।
इंटर्नशिप के बाद जॉब मिलना कन्फर्म नहीं होता है लेकिन जॉब के लिए एक सही पाथ और ट्रेनिंग जरूर मिल जाती है और इंटर्नशिप के दौरान गुड परफॉरमेंस देने वाले इंटर्न्स के लिए उस ऑर्गनाइजेशन में जॉब पाने के चांसेस काफी बढ़ भी जाते हैं।
और एक कैंडिडेट के तौर पर सीवी को स्ट्रॉन्ग करने में भी इंटर्नशिप एक्सपीरिएंस का बहुत बड़ा हाथ होता है।
इंटर्नशिप को कितने टाइम तक करना होता हैं?
इंटर्नशिप के दौरान एक इंटर्न को वीक के कितने दिन और कितने घंटे काम करना होगा,ये उस ऑफिस पर डिपेंड करेगा जहाँ आप इंटर्न होंगे। इसलिए बेटर यही होगा कि इंटर्नशिप शुरू करते टाइम इस तरह की सभी जरुरी बातें पता कर ली जाएँ और उसके अकॉर्डिंग ही परफॉरमेंस दी जाये।
और अब जानते हैं की इंटर्नशिप करने से क्या – क्या बेनिफिट्स मिल सकते हैं –
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वर्क एक्सपीरियंस मिलता है –
क्लासरूम से निकलकर ऑफिस के प्रैक्टिकल एनवायरमेंट में वर्क एक्सपीरियंस मिलना इंटर्न के लिए एक बहुत वैल्युएबल एक्सपीरियंस होता है।
इंटर्नशिप के जरिये स्टूडेंट्स अपनी नॉलेज को रियल वर्क प्लेटफॉर्म पर अप्लाई करना सीखते हैं
और इस दौरान बहुत सी स्किल्स गेन करते हैं जैसे कम्युनिकेशन स्किल्स,टीमवर्क और कंप्यूटर प्रोफिसिएंसी और इन सभी स्किल्स को सीखने के बाद एक इंटर्न अपने फेवरेट फील्ड में जॉब पाने के लिए काफी हद तक तैयार हो जाता है।
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प्रैक्टिकल नॉलेज हासिल करना आसान हो जाता है –
कॉलेज में थ्योरी पढ़ने के बाद उन लॉज़ और रूल्स को परखने का मौका इंटर्नशिप में मिलता है,
जहाँ स्टूडेंट्स अपने क्लासरूम की नॉलेज को ऑफिस के प्रैक्टिकल एनवायरनमेंट में टेस्ट कर सकते हैं और प्रैक्टिकल नॉलेज गेन कर सकते हैं।
3.नेटवर्क बनाना इजी हो जाता है –
किसी भी फील्ड में काम करने के लिए एक अच्छा नेटवर्क होना बहुत जरुरी होता है,
जो ना केवल प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने में हेल्पफुल रहता है बल्कि आपकी प्रोग्रेस के लिए भी जरुरी होता है।
इंटर्नशिपके दौरान एक इंटर्न उस इंडस्ट्री के प्रोफेशनल्स के बीच रहते हुए काम करना सीखता है
और इस समय इंटर्न के पास ये अपॉर्चुनिटी होती है
कि वो एक्सपर्ट्स से काम की बारीकी सीख सकें और उनके कॉन्टेक्ट में रहकर बेटर वर्क ऑपोर्चुनिटीज़ हासिल कर सकें।
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कॉन्फिडेंस बढ़ता है –
इंटर्नशिप करने से एक स्टूडेंट का कॉन्फिडेंस बूस्ट होता है
और क्लासरूम के बाद वो किसी ऑफिस में वर्क करने के लिए तैयार होता है। इंटर्नशिप की वजह से स्टूडेंट के लिए एक गुड एम्प्लोयी बनना आसान हो जाता है क्योंकि इंटर्नशिप पीरियड में वो ऑफिस के वर्क पैटर्न को करीब से देख पाता है
और उसमें अपनी शुरुआत करने के लिए खुद को कॉन्फिडेंस के साथ तैयार भी कर पाता है।
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करियर पाथ एक्सप्लोर करना आसान हो जाता है –
कॉलेज में पढ़ते टाइम हर स्टूडेंट को ये क्लियर नहीं होता है कि उसके लाइफ का गोल क्या है
और वो किस फील्ड में अपना करियर बनाना चाहता है। भले ही वो अपनी पसंद के सब्जेक्ट्स पढ़ रहे हों लेकिन उनमें मिलने वाले करियर ऑप्शंस कई होते हैं, जिनमें से परफेक्ट ऑप्शन चूज करने में इंटर्नशिप हेल्प करती है
क्योंकि इंटर्नशिप के दौरान एक इंटर्न को उस जॉब प्रोफाइल की रियलिटी का पता चलता है जिसके बारे में इंटर्न
की बहुत सी एक्सपेक्टेशंस होती हैं और कई बार ऐसा भी होता है कि इंटर्न की एक्सपेक्टेशंस उस जॉब प्रोफ़ाइल की रियलिटी से मैच नहीं करती हैं। ऐसे में इंटर्न ये तो समझ ही जाता है कि ये जॉब उसके लिए है या नहीं। ऐसा होने से बहुत ही कम टाइम में की गयी इंटर्नशिप.. एक स्टूडेंट को सही करियर ऑप्शन चुनने में बहुत हेल्प करती है।
आइये,अब जानते हैं कि इंटर्नशिप कितने टाइप की होती है –
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Paid Internship –
पेड इंटर्नशिप ज्यादातर बड़ी ऑर्गनाइजेशंस और प्राइवेट सेक्टर में मिला करती है जहाँ स्टूडेंट्स को इंटर्नशिप का पेमेंट दिया जाता है। हर स्टूडेंट इसी तरह की इंटर्नशिप करना पसंद करता है।
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Unpaid Internship –
इस इंटर्नशिप में इंटर्न को वर्क एक्सपीरिएंस तो मिलता है लेकिन इसके लिए उसे कोई पेमेंट नहीं दिया जाता है।
जब आप किसी नॉन – प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन में इंटर्नशिप करते हैं जैसे चैरिटीज,यूनिवर्सिटीज,गवर्नमेंट एजेंसीज और कुछ हॉस्पिटल्स।
तो इस तरह की ऑर्गनाइजेशंस का पर्पस मनी अर्न करने से ज्यादा सर्विस प्रोवाइड करना होता है और ऐसे में इन जगहों पर की जाने वाली इंटर्नशिप ज्यादातर अनपेड इंटर्नशिप ही होती है।
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Partially Paid Internship –
कई ऑर्गनाइजेशंस में पार्शियल पेड इंटर्नशिप का ऑप्शन भी होता है। इसमें इंटर्न को stipend की फॉर्म में पे किया जाता है। stipend ऐसा फिक्स अमाउंट होता है जो रेगुलर बेसिस पर दिया जाता है।
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Summer Internship –
समर इंटर्नशिप भी बहुत पॉपुलर और बेनेफिशियल इंटर्नशिप होती है। ये इंटर्नशिप अक्सर 8 से 12 वीक्स की होती है
और ये फुल टाइम या पार्ट टाइम दोनों हो सकती है। इस टाइम की जाने वाली इंटर्नशिप स्टूडेंट को अपने लिए सही करियर फील्ड चुनने में बहुत हेल्प करती है।
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Co-Operative Education –
इंटर्नशिप और को-ऑपरेटिव एजुकेशन में काफी सिमिलॅरिटी होती है।
ये दोनों ही स्टूडेंट्स के लिए एक बेहतरीन करियर चुनने में हेल्पफुल होते हैं क्योंकि इन्हें करने से स्टूडेंट उस फील्ड के लिए रिक्वायर्ड स्किल्स और नॉलेज गेन कर सकते हैं।
इनके बीच मेन डिफरेंस टाइम ड्यूरेशन का होता है। इंटर्नशिप जनरली कुछ वीक्स से कुछ महीनों तक होती है
जबकि को-ऑपरेटिव एजुकेशन एक या ज्यादा साल तक चलती है।
6. Work research, virtual research (graduation) or dissertation
इस तरह की इंटर्नशिप अक्सर ऐसे स्टूडेंट्स करते हैं जो फाइनल ईयर में होते हैं।
इंटर्नशिप के इस टाइप में एक इंटर्न उस कंपनी से रिलेटेड रिसर्च करता है जिसमें वो इंटर्नशिप कर रहा होता है।
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7. email, online chat or phone virtual
क्या आप रिमोट इंटर्नशिप के बारे में जानते हैं। इस तरह की इंटर्नशिप कहीं से भी की जा सकती है
यानी अगर कोई इंटर्न वर्क एक्सपीरिएंस अपने कम्फर्ट जोन में रहते हुए ही लेना चाहता हो यानी बिना ऑफिस जाए,पूरी फ्रीडम और फ्लेक्सिबिलिटी के साथ.. तो ऐसे इंटर्न्स के लिए रिमोट इंटर्नशिप बेस्ट ऑप्शन होता है।
इस तरह की इंटर्नशिप में एक इंटर्न रियल वर्ल्ड एक्सपीरियंस ऑफिस से दूर बैठकर भी ले सकता है
और इस दौरान एक इंटर्न प्रैक्टिकल वर्क को कितना सीख सकेगा,ये उसकी कैपेबिलिटी और डेडिकेशन पर निर्भर करता है।
दोस्तों, अब आपके पास इंटर्नशिप से रिलेटेड सारी जरुरी इंफॉर्मेशंस आ गयी हैं और क्विक सपोर्ट ये उम्मीद करता है
कि ये इंफॉर्मेशंस इंटर्नशिप से रिलेटेड आपकी क्वेरीज को सॉल्व करने में हेल्पफुल रहेंगी।
आगे भी ऐसी ही इनोवेटिव और इंटरेस्टिंग जानकारियां लेने के लिए हमारे वेबसाइट qsofficial.com को visit करे ताकि हर नयी और इनोवेटिव जानकारी सबसे पहले आप तक पहुचें। धन्यवाद !!!
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