कई बार अनजाने में और कभी जान – बूझकर कुछ ऐसे केमिकल्स या ड्रग का सेवन कर लिया जाता है जो शरीर के लिए पॉइज़नस होते हैं और अगर इन्हें समय रहते क्योर ना किया जाये तो ये जानलेवा भी हो सकते हैं। ऐसे पोइजन को शरीर से निकालने के लिए एंटीडोट्स की मदद ली जाती है। इसी तरह बहुत – सी बीमारियों से बचाव के लिए वैक्सीन भी लगाए जाते हैं और आपने भी वैक्सीनेशन जरूर करवाया होगा लेकिन ये एंटीडोट्स और वैक्सीन होते क्या है और किस तरह काम करते हैं,ये आपको भी जानना चाहिए इसलिए आज क्विक सपोर्ट के इस पोस्ट में हम आपको एंटीडोट्स और वैक्सीन से जुड़ी सभी खास जानकारियां देने वाले हैं इसलिए इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़े –
तो चलिए, शुरू करते हैं और सबसे पहले एंटीडोट के बारे में जानते हैं –
एंटीडोट जिसका मतलब विषनाशक औषधि और प्रतिकारकहोता है,इसे समझने से पहले हमें ये जानना होगा कि विष यानी पॉइज़न क्या होता है। पॉइज़न ऐसे सब्सटेंस होते हैं जिन्हें लेने से इंसान के किसी ऑर्गन को नुकसान पहुँच सकता है और जान भी जा सकती है। ये पॉइज़न की प्रकृति और उसके अमाउंट पर डिपेंड करता है कि वो कितना घातक साबित होगा।
एंटीडोट या प्रतिकारक ऐसे एजेंट होते हैं जो पॉइज़न के इफेक्ट को कम करने और ख़त्म करने का काम करते हैं। जब कभी अनजाने में या जानबूझकर ऐसा कोई सब्सटेंस हमारे शरीर में चला जाता है जो पूरे शरीर पर या शरीर के किसी ऑर्गन पर हार्मफुल इफेक्ट डालता है तब एंटीडोट की मदद से उस पाइजन के इफेक्ट को न्यूट्रल करके ख़त्म किया जाता है। ये एंटीडोट्स ऐसे ड्रग या केमिकल होते हैं जोशरीर मेंहार्मफुल ड्रग या पॉइज़न के अब्जॉर्ब्शन को रोकते हैं ताकि वो आगे चलकर ब्लड में मिक्स ना हो सके और उसके साइड इफेक्ट को रोका जा सके।
इसे एक एग्जाम्पल से समझते हैं – एक्टिवेटेड चारकोल यूनिवर्सल एंटीडोट होता है। जब कोई व्यक्ति किसी वजह से कोई पॉइज़नस सब्सटैंस ले लेता है तो उस पॉइजन को ब्लड में घुलने से रोकने के लिए एक्टिवेटिड चारकोल का यूज किया जाता है। उसके बाद वोमिट के जरिये ऐक्टिवेटेड चारकोल को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। ऐसे बहुत से एंटीडोट्स होते हैं जो अलग अलग पॉइजन के इफेक्ट को मिटाने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं जैसे – Charcoal, Atropine, Sodium Bicarbonate, और Vitamin K.
एंटीडोट्स 4 टाइप्स के होते हैं –
1. फिजिओलॉजिकल एंटीडोट्स – ये एंटीडोट बॉडी में फैले पॉइजन पर डायरेक्ट अटैक नहीं करते बल्कि बॉडी की फिजिओलॉजी में ऐसे चेंजेस कर देते हैं जो पॉइजन के इफेक्ट को रोकते हैं जैसे –‘सोडियम नाइट्राइट’ साइनाइड पॉइजनिंग में एंटीडोट के रुप में दिया जाता है। ये एंटीडोट हीमोग्लोबिन को मेथेमोग्लोबिन में कन्वर्ट कर देता है जो सायनाइड से कम्बाइन होकर नोन-टोक्सिक साइनमेथेमोग्लोबिन बना देता है और इस तरह पॉइजन का असर रुक जाता है।
2. केमिकल एंटीडोट्स – ये एंटीडोट्स पॉइजन पर डायरेक्ट अटैक करते हैं और उसके केमिकल नेचर को इस तरह बदल देते हैं कि पोइजन नॉनपॉइज़नस सब्सटैंस में बदल जाता है। जैसे –‘सोडियम थायोसल्फेट’,जो टॉक्सिक साइनाइड को नोनटोक्सिक थायोसायनेट में कन्वर्ट कर देता है और इस तरह पॉइजन का असर ख़त्म हो जाता है।
3. मैकेनिकल एंटीडोट्स – मैकेनिकल एंटीडोट ब्लड में पॉइजन के अब्जॉर्ब्शन को रोकता है। जैसे – ‘एक्टिवेटिड चारकोल’ जो स्टमक से सारे पोइजन को अब्जॉर्ब कर लेता है और पोइजन ब्लड में जाने से रुक जाता है।
4. यूनिवर्सल एंटीडोट्स – इस तरह के एंटीडोट्स तब इस्तेमाल किये जाते हैं जब पॉइजन के बारे में सही जानकारी ना हो। ऐसे में कई केमिकल्स को मिलाकर दिए जाने वाले मिक्सचर को यूनिवर्सल एंटीडोट कहा जाता है। ‘एक्टिवेटिड चारकोल’ बहुत से पॉइज़न्स से प्रिवेंशन के लिए यूज किया जाता है इसलिए इसे मैकेनिकल एंटीडोट के अलावा यूनिवर्सल एंटीडोट भी कहा जाता है।
एंटीडोट्स क्या होते हैं और ये किस तरह पॉइजन के साइड इफ़ेक्ट को दूर करते हैं, ये जानने के बाद अब वैक्सीन के बारे में जानते हैं –
सबसे पहले 1796 में एडवर्ड जेनर ने सक्सेसफुल वैक्सीन डवलप किया था जो स्मॉलपॉक्स डिजिस का वैक्सीन था। वैक्सीन को समझने के लिए हमें इम्यून सिस्टम को समझना होगा। इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक तंत्र..हमारे शरीर को बीमारियों से बचाने का काम करता है। जब भी कोई हार्मफुल बैक्टीरिया या वायरस हमारे शरीर में एंटर करता है तो हमारा इम्यून सिस्टम इन्हें ख़त्म करने के लिए एंटीबॉडीज बनाता है और बीमारियों को शरीर से दूर कर देता है लेकिन कई बीमारियां ऐसी होती हैं जिन्हें दूर करने की क्षमता हमारे इम्यून सिस्टम में नहीं होती है। ऐसे में शरीर को कुछ बीमारियों से बचाने के लिए इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए वैक्सीन यानी टीका लगाया जाता है। वैक्सीन से इम्यून सिस्टम इतना स्ट्रॉन्ग बनता है कि बैक्टीरिया, वायरस और सूक्ष्मजीवों से आसानी से लड़कर उन्हें शरीर से दूर कर देता है और शरीर का बीमारियों से बचाव हो जाता है।
किसी बीमारी का वैक्सीन लगवाने के बाद जब व्यक्ति उस खास बीमारी के संपर्क में आता है तो उसका इम्यून सिस्टम इसे पहचान लेता है और तुरंत एंटीबॉडीज रिलीज कर देता है और ये एंटीबॉडीज उस बीमारी से लड़कर उसे ख़त्म कर देते हैं। हर उम्र के लोगों को अलग अलग वैक्सीन की जरुरत होती है। बहुत सी ख़तरनाक बीमारियों से बचने के लिए वैक्सीन लगाया जाता है जैसे चिकन पॉक्स, डिप्थीरिया, फ्लू, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, खसरा, पोलियो और काली खांसी। कुछ बीमारियां ऐसी भी होती हैं जिनके लिए पहले से वैक्सीन लगवाने की जरुरत नहीं पड़ती है लेकिन अचानक वैक्सीन लगवाना पड़ सकता है जैसे रेबीज, एंथ्रेक्स और जापानी एन्सेफेलिटिस।
वैक्सीन किस तरह बनाया जाता है –
सबसे पहले ऐसे ऑर्गनिज्म तैयार किये जाते हैं जो एक विशेष बीमारी पैदा करते हैं। इन्हें पैथोजन कहते हैं। ये पैथोजन वायरस या बैक्टेरियम होते हैं। इन्हें लैबोरेट्री में बड़े स्केल पर पैदा किया जा सकता है। इसके बाद पैथोजन में कुछ चेंजेस किये जाते हैं ताकि ये क्लियर हो जाये कि ये पैथोजन खुद कोई बीमारी पैदा नहीं करेगा। इसके बाद पैथोजन को स्टेबलाइजर्स और प्रिजर्वेटिव के साथ मिलाकर वैक्सीन की डोज तैयार की जाती है और फिर वैक्सीन लगाया जाता है।
दोस्तों, क्विक सपोर्ट को उम्मीद है कि एंटीडोट और वैक्सीन से जुड़ी ये जानकारी आपको हेल्थ के प्रति ज्यादा अवेयर कर पाएगी और आपको पसंद भी आएगी। आगे भी ऐसी ही इनोवेटिव और इंटरेस्टिंग जानकारियां लेने के लिए हमारे चैनल quick support को सर्च करे ताकि हर नयी और इनोवेटिव जानकारी सबसे पहले आप तक पहुचें। धन्यवाद
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