Asteroids
आपने किसी फिल्म या सीरियल में स्पेस का वो नज़ारा जरूर देखा होगा जब क्षुद्रग्रह स्पेस में यहाँ – वहाँ घूमते दिखाए गए होंगे और कभी किसी धूमकेतु के पृथ्वी से टकराने की ख़बर भी आपने सुनी होगी तो कभी कोई पुच्छल तारा आसमान में शायद आपको दिखाई भी दिया हो और कभी किसी उल्का पिंड के पृथ्वी से टकराने और अर्थ पर गिरने जैसी न्यूज भी आपने जरूर पढ़ी होगी लेकिन शायद आपको इनके बारे में ये जानकारी ना हो कि ये क्षुद्रग्रह (Asteroids), धूमकेतु (कॉमेट्स) उल्कापिंड (मिटिराइट) और उल्का (मिटिर्स) होते क्या हैं ? इसलिए आपको इस बारे में इंटरेस्टिंग और इम्पोर्टेन्ट इनफार्मेशन देने के लिए ही आज क्विक सपोर्ट ने ये पोस्ट लिखा है इसलिए इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़े।
आइये, सबसे पहले एस्टेरॉइड के बारे में जानते हैं –
एस्टेरॉइड यानी क्षुद्रग्रह एक स्पेस रॉक होती है। ये सोलर सिस्टम में मौजूद एक स्मॉल ऑब्जेक्ट होती है जो सूरज के चारों तरफ घूमती है। इसे एक छोटे प्लेनेट के रुप में भी समझ सकते हैं। एस्टेरोइड का अर्थ ‘स्टार जैसा’होता है। ये मीनिंगएंशिएंट ग्रीक लैंग्वेज में बताया गया है।
क्या सभी एस्टेरोइड एक ही साइज में पाए जाते हैं ?
जहाँ तक इनके साइज की बात है तो ये कई रेंज में मिलते हैं,कुछ एस्टेरॉइड्स छोटे पत्थर जितनी साइज के होते हैं तो कई एस्टेरॉइड्स बहुत विशाल होते हैं जैसे 600 मील तक फैले हुए।
हमारे सोलर सिस्टम में कितने एस्टेरॉइड्स मौजूद हैं ?
हमारे सोलर सिस्टम में बहुत सारे एस्टेरॉइड्स मौजूद हैं जिनमें से ज्यादातर एस्टेरॉइड्स ‘मेन एस्टेरोइड बेल्ट’ में पाए जाते हैं। मेन एस्टेरोइड बेल्ट, मार्स और जुपिटर के ओर्बिट्स के बीच स्थित रीजन (क्षेत्र) है। इस रीजन के अलावा भी कई जगह पर एस्टेरॉइड्स मौजूद रहते हैं जैसे – कई प्लैनेट्स के ऑर्बिट पाथ पर। यानि इसका मतलब ये हुआ कि एस्टेरोइड और प्लेनेट दोनों एक ही रास्ते पर चलते हुए सूरज के चारों और चक्कर लगाते हैं। हमारी अर्थ के पास ऐसे एस्टेरॉइड्स मौजूद हैं।
क्या सभी एस्टेरॉइड्स एक जैसे होते हैं ?
नहीं,सभी एस्टेरॉइड्स अलग – अलग होते हैं क्योंकि ये सूरज से अलग – अलग दूरी और लोकेशन पर बनते हैं।
एस्टेरोइड किस शेप में पाए जाते हैं ?
इनकी शेप प्लैनेट्स की तरह गोल नहीं होती है बल्कि इर्रेगुलर होती है।
क्या एस्टेरॉइड्स केवल रॉक्स से बने होते हैं ?
ज्यादातर एस्टेरॉइड्स तो अलग-अलग तरह की रॉक्स से बने होते हैं जबकि कुछ एस्टेरॉइड्स में क्ले या निकल और आयरन जैसे मेटल भी होते हैं।
क्या एस्टेरॉइड्स स्टडी से साइंटिस्ट को कोई स्पेशल इन्फॉर्मेशन मिलती है ?
एस्टेरॉइड्स से साइंटिस्ट्स को sun और प्लैनेट्स की हिस्ट्री के बारे में बहुत कुछ पता चलता है क्योंकि एस्टेरॉइड्स की फार्मेशन भी उसी समय हुयी है जब सोलर सिस्टम के बाकी ऑब्जेक्ट्स की फार्मेशन हुयी है।
एस्टेरोइड के बारे में इतनी इंटरेस्टिंग इनफार्मेशन लेने के बाद, अब जानते हैं comets के बारे में –
- कॉमेट्स क्या होते हैं ?
कॉमेंट्स यानी धूमकेतु.. फ्रोजेन गैसेस, रॉक और डस्ट से बने कॉस्मिक स्नोबॉल्स होते हैं। एस्टेरोइड की तरह comet भी सूर्य की परिक्रमा करता है। कॉमेट को ही ‘पुच्छल तारा’ भी कहा जाता है।
जब कॉमेट फ्रोजेन होते हैं तब इनका साइज एक स्मॉल टाउन जितना होता है लेकिन जैसे – जैसे कॉमेट sun के नजदीक जाता है, वैसे – वैसे गैसेज और डस्ट वेपोराइज होनी शुरू हो जाती है और ये वेपोराइज्ड गैसेज और डस्ट कॉमेट की टेल बनाती है।
कॉमेट के तीन पार्ट्स होते हैं – न्यूक्लियस, कोमा और टेल।
कॉमेट का सॉलिड कोर न्यूक्लियस कहलाता है। ये कॉमेट जब सन के बहुत क्लोज आ जाता है तब इसका न्यूक्लियस एक कोमा डवलप करता है जिसकी एक या ज्यादा टेल्स होती हैं। कोमा ऐसा डस्टी क्लाउड होता है जो न्यूक्लियस के चारों ओर बनता है और टेल सूरज से अपोजिट डायरेक्शन में रहने वाला कॉमेट का एक्सटेंडेड पार्ट होता है।
नोन कॉमेट्स की संख्या कितनी है ?
कॉमेंट्स की संख्या बहुत ज्यादा होती है जिनमें से अरबों कॉमेट्स तो सूर्य की परिक्रमा करते हैं लेकिन अभी तक नोन (known)कॉमेट्स की संख्या लगभग 3618 है।
क्या कॉमेट्स यानी पुच्छल तारें अपनी लाइट से चमकते हैं ?
कॉमेट की अपनी कोई लाइट नहीं होती है और कॉमेट में जो लाइट दिखाई देती है वो असल में सनलाइट का रिफ्लेक्शन होता है।
क्या हम कॉमेट को देख सकते हैं ?
कई बार कुछ कॉमेट्स अर्थ (earth) के बहुत नजदीक आ जाते हैं और तब इन्हें देखना हमारे लिए पॉसिबल हो जाता है।
- एस्टेरॉइड्स और कॉमेट्स के बारे में जान लेने के बाद, अब जानते हैं meteoroids, meteors और meteorite के बारे में (मिटिरोइड्स, मिटिर्स, मिटिराइट)–
मिटिरोइड्स यानी उल्कापिंड के बारे में तो आपने कई बार सुना होगा। ये उल्का पिंड स्पेस रॉक्स होती हैं यानी स्पेस में पायी जाने वाली चट्टानें। इनका साइज बहुत तरह का होता है – ये डस्ट ग्रेन जितनी स्मॉल भी होती हैं और छोटे एस्टेरोइड की साइज में भी पायी जाती हैं। ये सभी उल्का पिंड ऐसे बड़े – बड़े ऑब्जेक्ट्स के टुकड़े होते हैं जो स्पेस में टूट जाते हैं या फिर ब्लास्ट हो जाते हैं इसलिए कुछ उल्का पिंड कॉमेट्स से आते हैं तो कुछ एस्टेरॉइड्स से और कुछ मिटिरोइड्स तो मून और दूसरे प्लैनेट्स से भी आते हैं। मिटिरोइड्स रॉक्स तो होती ही हैं लेकिन कुछ मिटिरोइड्समेटैलिक भी होते हैं और कई रॉक और मेटल के कॉम्बिनेशन में भी पाए जाते हैं।
मिटिर्स क्या होता है?
जब ये मिटिरोइड्स पृथ्वी के एटमॉस्फेयर में एंटर करते हैं या फिर मार्स जैसे किसी प्लेनेट के एटमॉस्फेयर में एंटर करते हैं तब इनकी स्पीड बहुत तेज होती है और ये जल जाते हैं और जलने के बाद ये मिटिरोइड्स.. Meteors (मिटिर्स) यानी उल्का कहलाते हैं। इन्हें शूटिंग स्टार्स भी कहा जाता है और कई बार इनकी चमक वीनस से भी ज्यादा होती है इसलिए इन्हें फ़ायरबॉल्स भी कहा जाता है।
मिटिराइट क्या होता है ?
जब एक मिटिरोइड स्पेस से अर्थ एटमॉस्फेयर में आने के बाद भी जलता नहीं है और अर्थ पर आकर गिरता है तब उसे meteorite (मिटिराइट) कहा जाता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हर दिन लगभग 48.5 टन मिटिरॉयटिक मैटेरियल अर्थ पर गिरता रहता है।
दोस्तों, क्विक सपोर्ट को उम्मीद है कि स्पेस से जुड़ी ये इनफार्मेशन आपको इंटरेस्टिंग लगी होगी और आगे भी ऐसी ही इनोवेटिव और इंटरेस्टिंग जानकारियां लेने के लिए हमारे Website को Visit करे ताकि हर नयी और इनोवेटिव जानकारी सबसे पहले आप तक पहुचें। धन्यवाद!!!!
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